अगर वो गुनहगार नही है ..और आपकी खोजबीन के बाद भी अगर आपको उसके खिलाफ ठोस सबूत नही मिल रहे तब भी हिरासत में रखना यह जताता है की आप पूर्वाग्रह से ग्रसित है और आपकी यह जांच फ़िर ख़ुद मानवीय गुनाह लगने लगती है i मै यह नही कहता कि कोई संत ,साध्वी मौलवी ,पादरी ,गुनहगार नहीं हो सकते है ---वो भी भावनाओं में बहकर गुनाह कर सकते है ...पर इसका अर्थ यह नहीं कि साध्वी ,मौलवी को लेकर आप उनको इस लिए गुनहगार साबित करे ताकि उस समुदाय को इस बहानेआप कटघरे में खड़ा कर सके ।
यहाँ पर हिंदू संगठनो को घेरने की व उन पर आतंकवादी का लेबल लगाने की राजनीती हो रही है ...अन्यथा साध्वी प्रज्ञां को जाँच एजेंसी के द्वारा पूछ- ताछ ,नार्को टेस्ट हो जाने के बावजुद अब तक मुक्त न करने की वजह और
क्या हो सकती है ?दोषी को दंड मिले ..यह न्याय कहता है ....पर दोषी को कैसे बचाया जाए व निर्दोष को कैसे फंसाया जाए यह सवाल भारतीय राजनीती से किया जा सकता है ।
Friday, November 21, 2008
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