Wednesday, November 19, 2008

सलाम मंदी

समूचा विश्व अर्थ जगत में आए मंदी के भूचाल से बेहेल है ओउर इस समस्या के समाधान के लिए एक जूट होकर मुकाबले के लिए तैयार है यहाँ एक बात इस दुर्घटना में भी अच्छी कही जा सकती है ..और वो है ''एकता ''। जी हाँ यहाँ पुरे विश्व समुदाय को एकता या एक जुटता के इस मर्म का एहसास हुआ है ... और ''मंदी '' के संक्रमण को रोकने के लिए सब एक जुबान बोलने के लिये तैयार हो गए है ... अर्थात इस ग्लोबल मंदी ने समूचे विश्व को एक मंच पर खड़ा कर दिया है । जिससे यह आशा जगी है कि हम वक्त पड़ने पर एक साथ खडे भी हो सकते है । अर्थात अब हम यह कह सकते है कि एक दिन समूची दुनिया सहायक शास्त्रों के खिलाफ भी एक होकर शांती का अस्त्र उठा सकती है तथा अरबों की झूठी बर्बादी का वो ढेर मानवीय सेवा के तहत ला सकती है । मै जनता हूँ कि सलाम मंदी का मेरा यह शीर्षक शेयर बाजार से जुड़े लाखों लोगो के दिलों को कचोटेगा क्योंकि इस मंदी ने उनकी तलपट की जमा पूंजी को साफ कर दिया है मै भी उन में से एक हूँ ... पर चूंकि लेखक हूँ इसलिए एक सकारात्मक पक्ष इस नकारात्मक विस्फोट में अगर नजर आ गया तो उसको आपको ''नजर '' न करने का गुनाह कैसे कर सकता हूँ ? बस इस एक पक्ष पर मंदी के तूफ़ान को भी सलाम कर सकते है ... जिसने यह जता दिया है कि सभ्यता -संस्कृति - सीमाए -सामर्थ्य अलग -अलग होने के बावजूद भी हम एक साथ खड़े हो सकते है
संजय सनम
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