Monday, November 17, 2008
आपको सलाम
ब्लोगर के इस कालम में संजय सनम का अभिवादन स्वीकार करे -अपने भावों को खुले दिल से आप तक पहुचने कि मेरी इस कोशिश में आपकी प्रतिक्रिया प्रदर्शक की भूमिका का निर्वाह करेगी और मै अपने पढ़ने वालो के एहसासों का सम्मानों करते हुए व उनकी जिज्ञासा को संतोष जनक समाधान देते हुए अपनी कलम को चलाना पसंद करुगा । यह सच है कि हम अजनवी है ... पर यह भी सच है कि कुछ दिन बाद भावनाओ के बाँध से फ़िर अजनवी एक दूसरे को नहीं करेंगे । मै प्रायः कड़वा लिखता हूँ ..इस लिए कई बार सीधा लग जाता है - पर जो लिखता हूँ वो महज काल्पनिक नहीं बल्कि वो उस व्यवस्था या विसंगति के खिलाफ अनुभूति होती है । -जिसकी वजह अक्सर हमारी खामोश प्रवृति या मौन स्वीकृति होती है मेरा निवेदन है कि कलम के उस कड़वे स्वाद को एक लेखक का धर्म समझते हुए और इस यात्रा के सहयात्री बने रहें । -आपका संजय सनम
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
sadar namaste
Post a Comment