Saturday, August 20, 2011

मशाल भी, मिसाल भी

अन्ना का कमाल!
१२० करोड़ की इस आबादी की दुखती रग पर हाथ इस तरह से रखा कि पूरे देश में क्रांति का करंट-सा आ गया और जिस तरह से जनसैलाब उमड़ा-उससे सरकार हिल गई। बाबा रामदेव पर उल्टा प्रहार करने में सफल रही सरकार के सिर्फ हौसले ही पस्त नहीं दिखे वरन् प्रधानमंत्री सहित उनके मंत्रियों के चेहरों पर से हवाईयां उड़ती-सी दिखी।
अन्ना हजारे ने जय प्रकाश जी के सत्याग्रह व महात्मा गांधी के आन्दोलनों की याद दिला दी- और जिस अंदाज में इस आंदोलन को दूरदर्शिता के साथ संचालित किया जा रहा है- वहां सरकार को स्ट्रोक लगाने का मौका ही नहीं मिल रहा है- सरकार बैकफुट में खेलने को मजबूर हुई है।
सरकार के कुछ मंत्रियों व प्रवक्ता की तरफ से जो अनर्गल आरोप लगाये गये उनका भुगतान सरकार को करना पड़ेगा वक्त उनसे पूरा हिसाब वसूल करेगा!
बधाई के पात्र है इस देश के युवा- जिन्होंने अपनी आवाज और उपस्थिति का जज्बा दिखा कर सरकार को यह संदेश दे दिया कि नव पीढ़ी जब सड़क पर उतरती है तो उसकी आहट से सियासत के खम्भें हिल जाते हैं।
अब स्वर्णिम भारत का युग आने वाला है-नेता-राजा नहीं होते जनता के सेवक होते हैं- यह संदेश राजनीति और सियासत को नया सबक सिखा रहा है- क्योंकि ये लोग वोट पाने के बाद कुर्सी पर ऐसे बैठते हैं- जैसे राजा बन गये हों और हमेशा बने रहेंगे। अन्ना ने नेताओं को यह समझा दिया है कि वो जन सेवक है इसलिए अपने आपको राजा समझने की भूल न करें !
देखना यह है कि सरकार के साथ विपक्ष सहित सभी दल जन लोकपाल पर क्या कहते हैं? भ्रष्टाचार सब जगह ही है इसलिये तकलीफ तो सबको होगी- इस आचार के बिना राजनीति की रोटी को क्या ये लोग चबा पायेंगे?
पर अब यह तय हो गया है कि काला धन, काला मन, काला कर्म नहीं चलेगा और नहीं चलेगी सरकार की काली नीति- जो कानून नियम का हवाला देते हुए अपने अधिकारों का अतिक्रमण कर सकती है और जनता अपने अधिकारों के लिए टुकुर-टुकुर देखती रह जाती है।
आजादी की ६४वीं वर्षगांठ के बाद का अगला दिन अन्ना क्रांति का नया सूरज ले आया- और अब लग रहा है कि असली आजादी का असली स्वाद अब इस देश को मिल कर रहेगा।
अन्ना
मशाल
भी
मिसाल भी
क्रान्ति
का
सूत्रपात भी
असली
आजादी
का
आधार भी..
देश ने देखा है...
दूसरी आजादी
के
लिए
अब दूसरा गांधी
आ गया है।

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