आदरणीय योग गुरु जी,सादर अभिवादन!कल दिनांक २ अप्रैल २००९ को आस्था चैनल के माध्यम से स्वदेशी और स्वाभिमान के प्रेरक विषय पर आपके सान्निध्य में बौद्धिक वक्ताओं के विचारों को सुनकर... मुझे ऐसा लगा कि आप इस देश के करोड़ों लोगों में उत्प्रेरक बनकर प्रेरणा तो जगा रहे हैं पर जिस तरह से आपने शरीर के तंत्र को ठीक करने के लिए प्रायोगिक रूप से योग खुद करके लोगों को सिखाया और बीमार शरीर को स्वस्थ बनाया वैसा प्रयोग बीमार शासन तंत्र को स्वस्थ करने के लिए आप स्वयं करने से कतरा रहे हैं। बाबा,इस देश की राजनीति की गंगा मैली है यह सब जानते हैं, जनता भी जानती है... पर वो क्या करें? उसके पास पांच वर्षों से एक वार निर्णय देने का अवसर आता है॥ और उसमें उसको उन ही लोगों की जमात से चुनना पड़ता है। पार्टी, निशान, नेता तो बदलते है पर फिर भी जनता की तकदीर और इस देश की तस्वीर नहीं बदलती क्योंकि राजनेताओं का चरित्र नहीं बदलता... आखिर एक ही थैले के चट्टेबट्टे जो ठहरे... इसलिए बाबा देश का भाग्य नहीं बदलता... क्योंकि जनता के पास विकल्प कहां है? ऐसे नैतिक, ईमानदार, राष्ट्रप्रेमी नायकों की कतार कहां है? और जो इस तबके के कुछ है वो इस मैली गंगा में कुदकर इसको साफ करने के लिए अपने हाथ गंदे करने को तैयार नहीं है।बाबा,आप भी तो मैली गंगा के किनारे खड़े होकर करोड़ों लोगों को इसके बारे में जता रहे हैं पर आप भी तो छलांग नहीं लगा रहे हैं जबकि इस देश की जनता आपको गुरु मानती है आपके आदेश की अनुपालना के लिए बगले नहीं झांकती आपके पास देशप्रेम से ओतप्रोत, विचारवान, कार्यकर्ताओं की टीम है... फिर भी आप सिर्फ उद्बोधन दे रहे हैं। जिस तरह से शरीर तंत्र की प्रक्रिया को दुरुस्त करने के लिए आपने करोड़ों लोगों को प्राणायाम खुद करते हुए दिखाकर सिखाया.... वैसे ही राष्ट्र के बीमार तंत्र को दुरुस्त करने के लिए आपको राजनीति की मैली गंगा को साफ करने की प्रक्रिया उसमें कूदकर स्वयं साफ करते हुए दिखानी होगी।बाबा,व्यवस्थाएं, नियम, कानून, तो संसद में बनते हैं... अगर इनको बदलना है तो आपको जन प्रतिनिधि का दायित्व ओढ़कर अपने कुछ विशेष बौद्धिक कार्यकर्ताओं के साथ संसद में जाना होगा।आपने कल कहां था, मुझे पी।एम। नहीं बनना, मंत्री नहीं बनना.... मत बनिये। पर इस देश की व्यवस्थाकेतंत्र को बदलने के लिए अर्थात नीति निर्धारण करने के लिए आप अपनी ऊर्जा को जनता से भरे मैदानों में नहीं बल्कि संसद में लगाइए॥ तब देश का भला होगा।बाबा,धर्म, न्याय, की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अधर्म का सहारा लेने को भी पाप नहीं माना था, क्या आप साधु के इस चोले के लिए राजनीति की इस मैली गंगा में जाने से कतरा रहे हैं? आपको डर है कि लोग क्या कहेंगे? आखिर रामदेव भी नेता बनने के लिए लालायित हो गये.... इसी डर की वजह से आपको बार-बार खुलासा करना पड़ता है॥ कि मुझे मंत्री नहीं बनना... है ना?अगर आप स्वयं प्रयोग करने से हिचकिचाते हैं तो फिर स्वाभिमान की यह शमां मत जलाइये।अगर इस देश के प्रति आपको वास्तव में श्रद्धा है प्यार है.. तो आप अपनी सामर्थ्य का जलवा दिखाइये।आप अपने निष्ठावान, समर्थ, संकल्पी कार्यकर्ताओं को आने वाले लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारिए और उनको नेतृत्व प्रदान कीजिए। जिस दिन संसद में राष्ट्रप्रेमी नायकों का एक टुकड़ा जन प्रतिनिधि बनकर आ जायेगा उस दिन भ्रष्ट नेताओं के चंगुल से देश छूट जाएगा और उसका चेहरा बदल जाएगा। अवसर एकदम सामने हैं.... बाबा! अगर आप चाहें तो इस देश की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल सकती है पर इसके लिए आपको सड़क से संसद में जन प्रतिनिधि के रूप में जाना होगा। अगर यह हिम्मत नहीं है तो बाबा फिर जनता के दिल की कसक को और मत तड़पाइये, फिर इन करोड़ों को अंधेरों में ही रहने दीजिए झूठी रोशनी मत दिखाइए।मेरा दावा है कि अगर आप इस समाधान को स्वीकार करते हैं तो ६ महीने के अंदर देश के सूरते हाल खुश्गवार नजर आने लगेंगे। पर इसके लिए व्यवस्था तंत्र को कपाल भारती आपको संसद में करनी व करवानी होगी। क्या आप ऐसा कर सकते हैं।संजय सनम
Friday, April 3, 2009
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6 comments:
बाबा कोई दूध के धुले नहीं हैं । गंगा की सफ़ाई के नाम पर क्या - क्या नहीं साफ़ कर चुके शायद आप अब तक इससे अंजान हैं । पाँच सौ करोड़ से ज़्यादा का कारोबार कैसे ख्ड़ा हो गया ,दो- चार सालों में । भ्रष्टाचार की कमाई का ही तो है यह पैसा । एक चैनल खरीदा है कई सौ करोड़ में । बदनीयति पर आपत्ति उठाने वाले गुरु को गायब कर देने वाले के हाथों देश सौंप कर क्या- क्या गायब कराना चाहते हैं । बेहतर है बाबा आपका पत्र पढ़कर अपना मन बनायें इससे पहले इस पत्र को फ़ाड़ कर फ़ेंक दीजिये देश हित में बड़ा उपकार होगा हम देशवासियों पर॥ संसद में ढ़ोंगियों की तादाद वैसे ही कम नहीं है ।
सरिताजी का और आपका, दोनों का साहस सराहनीय है।
aapse poori tarah sahmat! sareetha ji se asahmat!
बाबा को नहीं तो किसी ना किसी को तो पहल करनी ही होगी। साथ में हमें भी अपनी जाति आदि के नाम पर वोट माँगने वालों को राजनीति से भगाना होगा।
घुघूती बासूती
sareetha जी आपका क्या योगदान है इस देश को बनाने और बचाने। आगर आप देशभक्त हैं और आप सही कह रही हैं तो केस कर दिजीये रामदेव महराज पर है इतना हिम्मत या फिर आप झूठ बोल रही हैं। गाली देना आसान है। कुछ कर दिखाना मुशकिल है। कुछ किजीये देश के लिये अन्यथा चुप रहीये आप जिस पर एक अंगुली दिखा रही है तो आप पर भी चार अंगुली दिख रहा है
Sareetha mujhe tumahare faaltu comment achha nahi laga..!
tumne kya kiya des ke liye?
from yangisthan
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