Friday, April 17, 2009

कहां गये वे समाजसेवी?

फर्स्ट न्यूज साप्ताहिक के पिछले अंक में सेवाधर्म करने वालों से एक विनम्र अपील एक गरीब महिला की जीवन रक्षा के लिए प्रकाशित की गयी थी तथा स्वयं सेवी संस्थाओं व समाज सेवियों से सहायता का हाथ बढ़ाने का अनुरोध किया गया था अत्यंत गंभीर अवस्था में इस महिला को रिकवरी नर्सिंग होम के संचालक डा. एस. के. अग्रवाल ने मानवीयता का जज्बा दिखाते हुए अपने नर्सिंग होम में भर्ती करके ८ तारीख की आधी रात से ही उसके इलाज में जूट गये और उनके अथक प्रयास की वजह से आज वो महिला खतरे से बाहर आ गयी है।फर्स्ट न्यूज के एक फोन पर डा. एस. के. अग्रवाल ने यह कहते हुए कि मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगा व इलाज में खर्च को जहां-जहां कम किया जा सकता है मैं अपनी तरफ से वो सब कुछ भी करूंगा। डाक्टर एस. के. अग्रवाल की इस भावना का ही कमाल था कि मैं उस महिला को जो कल्याणी के जवाहरलाल नेहरू सरकारी अस्पताल में बिना सटीक इलाज की वजह से छटपटा रही थी को रिकवरी नर्सिंग होम में लाने की हिम्मत कर सका। लेकिन मुझे दुख इस बात का है कि उस विनम्र अपील पर समाजसेवी का तमगा लगाकर सेवा का प्रचार करने वालों पर खास असर नहीं हुआ। मैंने फर्स्ट न्यूज के उस पत्र को अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं, उद्योगपति व स्वनामधन्य समाज सेवियों तक इस आशा के साथ पहुंचाया कि वे लोग रिकवरी नर्सिग होम के डा. एस. के. अग्रवाल की इस पहल रूपी सेवा धर्म यज्ञ में अपनी आहूति अर्पित करेंगे। पर ऐसा लगा जैसे अखबारों में सेवा धर्म करते दिखने वाले तथा मंचों पर नजर आने वाले वो बड़े-बड़े नाम अखबार में अपनी फोटु व खबर छपाने के लिए तो हजार रुपये का नोट दे सकते हैं पर बिना प्रचार की सेवा में एक रुपया भी खर्च नहीं कर सकते। मैं हृदय से आभारी हूं हावड़ा ब्लेक रोज क्लब के श्री जयप्रकाश गुप्ता का जिन्होंने आपात स्थिति में ४ बोतल खून का प्रबंध करवाया तथा उन सभी सेवाधर्मी बंधुओं का जिन्होंने बिना किसी प्रचार की अपेक्षा के अपने सामर्थ्य के अनुसार अपना अंश दान करके यह बताया कि कलयुग के इस काल में सतयुग का सत्व छिपे हुए रुस्तम के रुप में जिन्दा है- जिससे इंसानियत का यह शब्द गौरवान्वित होता है। अब पाठकगण इनमें और उनमें फर्क देखें... एक तो ये है जो बिना नाम की आशा के अपने सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंदो की जरूरत को पूरा करने में सहयोग बनते हैं, एक वो है जिनको प्रायः आप अखबारों में समाज सेवी के अलंकरण से सेवा कार्य का नगाड़ा बजाता सा देखते हैं और उनमें से अधिकांश की फोटु व खबर लिफाफे के वजन के आधार या सालाना कांट्रेक्ट के आधार पर छपती है...। सेवा धर्म की नींव की ईंट और कंगुरे की पहिचान हमको करनी है तथा नींव की हर ईंट का हमको सम्मान भी करना होगा। चिकित्सा के इस पेशे में मानवीयता की मिसाल रिकवरी नर्सिंग होम के संचालक डा. एस. के. अग्रवाल ने जो दिखाई है वो संपूर्ण चिकित्साजगत में प्रेरणादायी है। मानवीयता का सच्चा सम्मान डा. एस. के. अग्रवाल जैसे व्यक्तित्व को मिलना चाहिए ऐसे व्यक्ति का अभिनन्दन सेवा धर्म की असली परिभाषा को रेखांकित करता है। देखना यह है कि क्या सेवा संस्थाएं प्रेरणा की इस अलख को जगाने की कवायद करती है?यह घटना मेरे लिये चमत्कार से कम नहीं है क्योंकि शांति देवी को जब ८ अप्रैल की मध्य रात्रि में मरणासन्न स्थिति में रिकवरी नर्सिंग होम में भर्ती किया गया था उस वक्त न तो यह पता था कि ये बच भी पायेगी या नहीं और न ही यह समझ पाये थे कि इलाज में कितना खर्च होगा?पहली हिम्मत डा. एस. के.अग्रवाल ने दी थी कि मरीज की जान बचाने व खर्च में कटौती की भी हर संभव कोशिश की जायेगी। शेष कार्य फर्स्ट न्यूज में की गयी अपील ने किया.. नर सेवा को नारायण सेवा मानने वाले अपना फर्ज अदा कर गये... इस गरीब महिला के इलाज का खर्च अभी तक डा. अग्रवाल ने जोड़ा नहीं है पर सेवाधर्मी महानुभावों की तरफ से आई राशि का योग पच्चीस हजार की जोड़ पार कर चुका है. यह चमत्कार से कम नहीं है.. जहां ऐसे सहृदयी लोग छुपे रुस्तम की तरह रहते हो वहां सेवा की पहल करने की हिम्मत अब और भी की जा सकती है क्योंकि बाद में सम्हालने वाले दयावान लक्ष्मीपुत्रों का साथ मिल जाता है। ईश्वर से कामना है कि ऐसे महानुभावों को सुखी-शांति व समृद्धि की त्रिवेणी संगम प्रदान करे जो असहाय के सहाय बनकर वक्त पर काम आते हैं।मुझे आत्म संतुष्टि है कि फर्स्ट न्यूज में कार्यरत कृष्ण कुमार दास के सर पर मां रूपी छत गंभीर तूफान से डा. एस. के. अग्रवाल की मानवीय पहल व सहृदयी महानुभावों के सामूहिक प्रयास से बच गयी। मैं इन सभी महान आत्माओं को आभार सहित वंदन करता हूं। संजय सनम

2 comments:

अजय कुमार झा said...

yahee to aaj sabse jyada afsos kee baat hai ki jis cheej kee jisse apekshaa hai wahan wo hee pooree nahin hotee, shukra hai ki kuchh insaasn abhee bhee bache hain.

APNA GHAR said...

aaj bhi insaniyat jinda hai dosto, iskee jinda misaal hai bharatpur rajasthan mai apnaghar sanstha chala rahe dr, madhuri aur dr, bm bhardwaj jinhone ashay lawaris mansik rogiyo ke liye jeevan bhar nisantaan rehne ka sankalp liya hai ADHIK JANKARI KE LIYE WEB APNAGHARBHARATPUR.ORG DEKHIYE YAA CONTACT KARE O94600121 PAR ASHOK KHATRI BAYANA DIST BHARATOUR RAJASTHAN