Wednesday, April 8, 2009

अल्पसंख्यक किसे कहते हैं?

इस देश की राजनीति ने मजहब के आधार पर अल्पसंख्यक व बहुसंख्यक की परिभाषा करते हुए वोटों की थाली बटोरने का ऐसा घृणित काम किया है जिसकी वजह से यर्थाथ बहुत पीछे छूट गया है। दरअसल इस शब्द को परिभाषित जाति या मजहब के नाम से नहीं करना चाहिए और न ही इसमें किसी समुदाय को दायरे में लाना चाहिए। अगर वास्तव में इस शब्द को परिभाषित किया जाये तो धनी समृद्ध लोग यहां बहुत कम है इसलिए अल्पसंख्यक तो वो है। चूंकि वो संपन्न है इसलिए ये लोग किसी भी रूप से सरकारी सहायता व संरक्षण व आरक्षण के हकदार नहीं बनते। इस देश की तीन चौथाई आबादी जो गरीबी, भूखमरी, बेकारी से जूझ रही है वो बहुसंख्यक है उसमें सब जाति, धर्म के लोग है। असली आरक्षण, संरक्षण तो उनको होना चाहिए पर सियासत के लोगों ने अपने वोटों का आरक्षण करने के लिए धर्म की लकीर अल्पसंख्यक व बहुसंख्यक के नाम पर खींच दी जिसकी वजह से जिन लोगों को सरकारी धन व सुविधाओं का लाभ मिलना चाहिए था वो उससे वंचित रह गये और लाभ सत्ता के ठेकेदार उठाने लगे।अगर इस शब्द का उपयोग सही रूप से किया जाता तो देश की तीन चौथाई आबादी आज जीवनयापन के लिए जुझती नजर नहीं आती....। पर राजनीति... गरीबी को नहीं मिटा सकती... बेशक वो भूख से गरीबों को मिटा सकती है, और बेकारी, गरीबी को मिटाने के नाम के तवे पर वे सियासतदान अपनी रोटियां सेंकते हैं और मजहब की लकीर रूपी दीवार जनता में जान बुझकर खींचते हैं। अल्पसंख्यक शब्द का महत्व अल्पसंख्यक के लिए नहीं बल्कि राजनीति और राजनेताओं के लिए है। इसलिए इस शब्द को पुनः परिभाषित करने की आवश्यकता है। संजय सनम

2 comments:

संगीता पुरी said...

बहुत सही ...

Anonymous said...

Sir g bahut achi baat kahe aap