Friday, June 3, 2011

वाह रे! तेरापंथ समाज

समाज की एक बेटी की ससुराल में जहर पिलाकर व फिर उसको आत्महत्या का मामला बनाने की कोशिश करने का जघन्य काम किया जाता है तब भी समाज के कुछ सक्रिय और मौजीज लोगों के द्वारा पीड़ित पक्ष (लड़की) के पीहर पक्ष को इस मामले को तूल न देकर आपसी समझौता करने का दबाव बनाते है।

वाह रे समाज! साथ तो पीड़ित पक्ष का देना चाहिए और आरोपी पक्ष के खिलाफ आवाज ऐसी बुलन्द करनी चाहिए कि फिर कोई बहु को मारने की ती दूर बल्कि उसको प्रताड़ित करने की भी कोशिश न करें... पर समाज के कर्णधार जब आरोपियों को संरक्षण देने की कोशिश करते हैं तो इसका अर्थ उनके घरों में भी बहुओं की स्थिति पर सवालिया निशान लग सकता है। जो किसी की बेटी के हत्यारों के लिए पीड़ित पक्ष पर दवाब बना कर समझौता कराने की कोशिश कर सकते हैं इससे साफ है कि उनके मन में संवेदन की अनुभूति नहीं है अर्थात वे आरोपियों का साथ देने वालों की कतार में खड़े है। कोई आश्चर्य नहीं कि कभी उनके घर से भी बहु को मारने व मामले को रफा-दफा करने की घटना घट जायें।

ऐसी बेजा हरकत करने वालों के कुछ नाम मेरे सामने आये है.... मैं उनको अभी प्रकाशित नहीं कर रहा हूं पर उनको आगाह अवश्य कर रहा हूं कि अपनी इन ओछी हरकतों से वे लोग बाज आये अन्यथा समाज के सामने ऐसे काले चेहरों को लाने में मैं संकोच नहीं करुंगा।

मुझे दुःख है कि समाज उन लोगों का वहिष्कार व दबाव नहीं डालता जो बहु पर अत्याचार, प्रताड़ना व दहेज की मांग करके या तो उसे मरने के लिए मजबूर कर देते है या फिर मार कर उसको आत्महत्या का मामला बनाने की कोशिश से भी नहीं चुकते-फिर उसके लिये स्थानीय पुलिस प्रशासन को अपने पक्ष में लेने के लिए दौलत को पानी की तरह क्यूं न बहाना पड़े।

अगर समाज में दम हो तो वो पीड़ित पक्ष के साथ खड़ा होकर अन्यायी को वो सजा दे सकता है-जिससे समाज की गरिमा और उसके होने का अर्थ नजर आये। यह घटना बीदासर की बेटी (प्रियंका) सुपुत्री थानमल दूगड़ व छापर के छाजेड़ परिवार विमल सिंह छाजेड़,(जैन) परिवार में दुर्गाचक हल्दिया मिदनापुर पूर्व में घटी है। घटना को खबर के प्रारुप में प्रकाशित किया गया है-इसकी संपूर्ण जानकारी पाठक खबर को पढ़ कर लेवे।

पाठक वर्ग से अनुरोध है कि ऐसी घटनाओं में अन्याय के पक्ष में खड़े दिखने वाले लोगों की इज्जत उतारने में कोताही न बरते। जो लोग प्रियंका की हत्या के इस मामले को रफा-दफा करने की कोशिश में लगे है वो यह जान ले कि पुलिस प्रशासन को दौलत पर चाहे खरीदा जा सकता हो व आरोपियों के पक्ष में खड़े होकर अपना दोगलापन दिखलाने की कीमत पर उनको भी दौलत का प्रसाद चाहे मिल सकता हो पर वो आत्मा उनको कभी माफ नहीं कर सकती जिसकी जिन्दगी को असमय हत्यारों के द्वारा लील लिया गया हो। हो सकता है कानूनी कार्रवाई को भी अंजाम तक पहुंचाने में समय लगे पर उस आत्मा को अपनी मौत का बदला लेने में समय नहीं लगेगा। ऐसे मामले कई सुने गये है जिनमें मृतात्मा ने अपना प्रतिशोध खुद लिया है। मैं प्रियंका की आत्मा की शांति के लिए भगवान से प्रार्थना करता हूं-पता नहीं क्यों? मुझे लगता है-जो काम वक्त पर प्रशासन व समाज नहीं कर सका वो काम प्रियंका खुद करेगी-इसलिए प्रियंका को मारने व उसके इस मामले को रफा-दफा करने की कुचेष्टा करने वालों के लिए खतरे की घंटी बजती दिख रही है।

जिन लोगों ने अपराध किया है व जो लोग किसी न किसी रूप में अपराधियों के सहयोगी बने है-वक्त की अदालत उनको उनके कर्मों की सजा जरूर देगी पर जिस आंगन की बेटी ससुराल पक्ष के अत्याचारों से पीड़ित होकर मौत के आगोश में समा गई है उस पीड़ित परिवार के लिए समाज की भूमिका क्या रही है? क्या इसे ही समाज कहते है?क्या रिश्ते-नाते और अपने स्वार्थ इतने हावी हो गये है कि पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने की बजाय उसे समझौता करने के लिए दबाव दिया जाये।

समाज के प्रबुद्ध वर्ग से मेरा निवेदन है कि पीड़ित पक्ष से सम्पर्क कर उन लोगों को चिन्हित करे जो समझौते रूपी दलाली की कोशिश कर रहे थे और इन लोगों को समाज के खुले मंच पर खड़ा करके कड़ी फटकार लगाई जाये ताकि ऐसी दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके। मैं अपने इस संपादकीय के माध्यम से अपने कलम धर्म के साथ सामाजिक दायित्व का पालन कर रहा हूं-अगर समाज रूपी संगठन में कहीं दायित्व बोध की भावना बची है तो वो अपनी उपस्थिति दर्शावे अन्यथा समाज रूपी यह संस्था पाकेटी संस्था का ही रुपक लगेगी-जिसको स्वीकार नहीं किया जायेगा।

मैं आरोपी पक्ष के उन रिश्तेदारों को धन्यवाद देना चाहूंगा जिन्होंने पीड़ित पक्ष की बात सुनने के बाद आरोपी पक्ष को अपना समर्थन न देने की बात कही और इस घटना के लिए दुःख प्रगट किया।

मानवीयता, रिश्तों-नातों से कहीं अधिक ऊपर होती है। पर अफसोस आजकल समाज रूपी संगठन अपने निहित स्वार्थ व दौलत के हाथ चलता है-इसलिए किसी का कत्ल हो जाता है और समाज "उफ' तक नहीं करता।

1 comment:

B .L .S E T H I A said...

समाज व धर्म पर लेखन के लिए धन्यवाद आप मेरे ब्लॉग पर भी विजीट अवश्य करें अपनी टिप्पणी अवश्य दे