भष्टाचार
व
भष्टाचारियों
की
इस व्यवस्था का
सत्याग्रह से
समाधान...
नहीं हो सकता
असुर शक्ति का
नीति से परिहार
नहीं हो सकता...
और जब तक
हम
उनके सामने
नीति विचार
की घंटी
गांधी की
अहिंसा की लाठी
से
दबायेंगे...
तब तक
वो
देश का
निवाला और
निगल जायेंगे...
इसलिए
अब हमें
गांधी को छोड़कर
भगत,
सुभाष,
तात्या,
लक्ष्मीबाई
की
राहों पर
आना होगा
और
प्रहार दर प्रहार
कर
इनका
संहार करना होगा।
भ्रष्ट व्यवस्था
बनाने
वाले
इन व्यवस्थापकों
को
उनकी
भाषा में
समझाना होगा-
उन्होंने
लाठियां चलाई
तो हमको
लट्ठ
चलाना होगा..
तब इस समस्या का
समाधान होगा...
अन्यथा
अमर बेल
की
तरह
और
प्रसार होगा।
-संजय सनम
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