कुर्सी की तजबीज में
वो तहजीब बेच रहे है
आजादी के दीवानों की
तकरीर बेच रहे है
सियासत उन्हें क्या मिल गई
जनता के माथे की
वो
लकीर बेच रहे है ।
संजय सनम
badee sahee tasveer kheenchee hai aapne dukaan aur dukaandaar kee bhee.
एकदम सटीक!
अच्छा लिखा है सराहनीय .....उत्तम अनिल कान्त मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
शानदार पंक्तियां।
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4 comments:
badee sahee tasveer kheenchee hai aapne dukaan aur dukaandaar kee bhee.
एकदम सटीक!
अच्छा लिखा है सराहनीय .....उत्तम
अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
शानदार पंक्तियां।
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