दस दरिंदो ने
लूट ली
एकअबला की लाज
और
पुलिस में
फाइल हुई
यह वारदात .
एक गुनाहगार
फटाफट पकडा गया
इधर मुजरिम
मीडिया को
अपनी कालीकरतूत
बेशर्मी से
बयां कर रहा था
उधर नॉएडा पुलिस
लाज रूपी ताले के
टूटने का
चिकित्सीय प्रमाण
मांग रही थी ,
अब सवाल
पुलिसिया जांच पर था
की वो किस तरह
सामने खड़े सबूत
को नजरंदाज कर
जैसे
लाज रूपी लाश
की
पोस्ट मार्टम रिपोर्ट
को ही
सबकुछ मान रही थी ।
क्या लाज के
लुटने का सच
लाज को फिर से
उघाड़ कर
देखने से ही
सत्यापित हो सकता है ?
उस अबला के
हालात
और मुजरिम का
गुनाह कबूलनामा
क्या काफी नहीं होते ?
संजय सनम
Thursday, January 8, 2009
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