Thursday, January 29, 2009

बेच रहे है ..

कुर्सी की तजबीज में

वो तहजीब बेच रहे है

आजादी के दीवानों की

तकरीर बेच रहे है

सियासत उन्हें क्या मिल गई

जनता के माथे की

वो

लकीर बेच रहे है ।

संजय सनम

4 comments:

अजय कुमार झा said...

badee sahee tasveer kheenchee hai aapne dukaan aur dukaandaar kee bhee.

Udan Tashtari said...

एकदम सटीक!

अनिल कान्त said...

अच्छा लिखा है सराहनीय .....उत्तम

अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

bijnior district said...

शानदार पंक्तियां।