पुरे सफर जो तूफान था
जाते -जाते बहार दे गया ।
खूब खटका था ,नजरो में
जाते -जाते खवाब दे गया
इजहार भी न कर सके हम
वो जाते -जाते करार दे गया
हमने तो उसको अलविदा ही कहा
पर वो हमको धन्यवाद दे गया
नव -वर्ष के सफर का
जोश ऐ खुमार दे गया
हम सोचते ही रह गए
वो धीरे से प्यार दे गया
संजय सनम
Tuesday, January 6, 2009
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3 comments:
पुरे सफर जो तूफान था
जाते -जाते बहार दे गया ।
खूब खटका था,नजरो में
जाते-जाते खवाब दे गया
behad lajabab rachana . dhanyawad.
हम सोचते ही रह गए
वो धीरे से प्यार दे गया
acchi baat hai na....?
swagat hai....
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