संजय सनम
राज्यों के विधानसभा चुनावों के चुनाव परिणाम ने यह जता दियी है कि मतदाता अब स्टार प्रचारकों व लोकलुभावन नारों व वादों के शिकार नहीं होते बल्कि अब वो सरकार के काम काज की समीक्षा करके मतदान केंद्र पर जाने लगे हैं। वास्तव में देखा जाये तो मतदाता की यह समझ लोकतंत्र के लिए एक नई नींव का रूपक बन रही है और हमारे आकाओं के लिए चेतावनी का काम भी कर रही है कि अगर काम करोंगे तो वोट पाओगे नहीं तो लोट जाओगे।महत्वपूर्ण यह नहीं है कांग्रेस कितनी जगह जीती या भाजपा कितनी जगह पर। हमको इन पार्टियों की विजय-पराजय की गिनती नहीं करनी वरन हमें यह देखना है कि जनता ने क्या जनता के लिए काम करने वालोे के साथ न्याय किया है? विवेचन तो इस बात का महत्वपूर्ण है कि जनता कहीं भावनाओं के प्रवाह या प्रचार के तामझाम में तो नहीं चली गयी। विधानसभा चुनावों के ये आये परिणाम इस बात का सकून देते हैं कि जनता के ऊपर न तो पार्टी का प्रभाव पड़ा है न ही स्टार प्रचारकों के लच्छेदार भाषणों का। जहां सुशासन दिखा वहां जनता ने उसे पुनः स्वीकार किया जहां कुशासन दिखा उसको उसने खारिज किया अर्थात मतदाता ने अब अपने "वोट' की कीमत समझी है और अपने इस अधिकार का सही रूप से उपयोग किया है। उनका यह उपयोग अब राजनीति में नये संयोग दिखलायेगा कि जनता के दरबार की नौकरी अब काम करने वालों को ही मिलेगी, जो काम नहीं करेंगे उनको जनता सस्पेन्ड करती दिख रही है। जनता की इस समझ को दिल से प्रणाम करना चाहिए।
5 comments:
स्वागत है आपका
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लिए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com
sir bahut accha likha hai apni madhushala bhi padaiye sir...........
๑۩۞۩๑वंदना शब्दों की ๑۩۞۩๑
बहुत ... बहुत .. बहुत अच्छा लिखा है
हिन्दी चिठ्ठा विश्व में स्वागत है
टेम्पलेट अच्छा चुना है
कृपया मेरा भी ब्लाग देखे और टिप्पणी दे
http://www.ucohindi.co.nr
प्रणाम आपको
Post a Comment