Saturday, September 10, 2011

"आप और वे'

वे आतंकवादी है
उनके मन में बारुद है
खून खराबें का जज्बा है
जान हथेली पर रख कर
वो अपना काम कर जाते हैं।
चिदम्बरम जी-आप गृहमंत्री है
आपके पास-
सुरक्षा परियोजनाओं
की फाइलें हैं,
फाइलों में भरे पन्ने हैं।
आप इनको तकिया बनाकर
चैन की नींद सो जाते हैं ।।
आतंकियों के पास जमीर नहीं है
वे निर्दोषों का खून कर जाते हैं.
जमीर आपके पास भी नहीं है-
आप अपनी जवाबदेही से
सीधे मुकर जाते हैं.
पीड़ितों के जख्मों पर
मरहम की जगह-
नमक-मिर्ची लगाते हैं।
जमीर की इस जमीं पर
"आप और वे'
कितने मिलते नजर आते हैं !
जो खून वो करते हैं
वो दिखता है ।
जो खून आप करते हैं,
उससे नैतिकता हर पल मरती है...
वो हम महसूस करते हैं।
वे आतंकी होने का
अपना कर्म निभाते हैं
पर
आप गृहमंत्री होने का
अपना धर्म कहां निभा पाते हैं?

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