Saturday, September 10, 2011

सांसद हो या सामन्त?

जन लोकपाल बिल को संसद के पटल पर रखवाने बाबत गांधीवादी अन्ना हजारे के आन्दोलन के वक्त राजनीति के गलियारों से संसद की महत्ता व उसकी सर्वोच्यता की बयानगी पुरे जोर-शोर से सुनाई दी- पर वे लोग संसद की जड़ को ही भूल गये-क्योंकि संसद में जनता के द्वारा चुने हुये प्रतिनिधि बैठते है-अर्थात आधार जनता ही है- फिर भी जनता के आंन्दोलन को विवादास्पद बनाने की नाकाम कोशिश राजनेताओं ने की-वो यह भूल गये कि सांसद होने का अर्थ क्या है? जनता के प्रतिनिधि होने के नाते सांसद का कर्तव्य जन सेवक के रुप में अपने क्षेत्र की जन समस्या को उठा कर उसको समाधान की प्रक्रिया को बनाना होता है- पर अधिकतर मामलों में सांसद अपने कर्तव्य को छिटका कर सामन्त की भूमिका में नजर आते हैं। खुद को राजा समझने की यह भूल ही जनता को सड़क पर उतरवा देती है- फिर वे लोग (सांसद) संसद की दुहाई देते भागते से दिखते हैं। अन्ना ने जनता को अपनी ताकत का अहसास करवा दिया है अब भी अगर सांसद सामन्ती अंदाज में नजर आते हैं-तो उनकी उल्टी गिनती उनके संसदीय क्षेत्र में जनता के द्वारा तय है- क्योंकि जनता अपने वोट की कीमत ससम्मान लेना चाहती है सांसदों के सामन्ती दरबार में लाईन लगाकर हाथ जोड़कर याचना करना नहीं चाहती!
आने वाले वक्त में सांसदों-विधायकों व पार्षदों को अपने तौर तरीकों में बदलाव करने ही होंगे अन्यथा जनता चेहरों को बदल देगी क्योंकि जनता अब सामन्तवादी अदा देखना नहीं चाहती-उसे अपना प्रतिनिधि चाहिए जो उसकी आह और वाह को समझ सकता हो! आने वाला समय दलवादी राजनीति से ऊपर उठकर व्यक्तिवादी होगा- जनता राजनैतिक दलों को नहीं बल्कि व्यक्तित्व के आंकलन से फैसला लेगी- क्योंकि उम्मीदवार अगर योग्य, नैतिक व जुझारु होगा तो वो जनता के उस वोट की कीमत को तवोज्जों देगा न कि दल के फैसले को- और ऐसे व्यक्ति ही जनता के दिलों-दिमाग पर राज करेंगे!
अन्ना हजारे के आन्दोलन ने जनता को उसके लोकतांत्रिक अधिकारों की शक्ति याद दिला दी है... अब जब जनता जग गई है तो राजनीति को अपनी सूरत व सीरत दोनों बदलनी पड़ेगी
अगर उन्होंने अपना मिजाज नहीं बदला तो जनता अपना रिवाज बदल देगी- और नामी-गिरामी चेहरों की राजनीति से छुट्टी की घोषणा हो जायेगी।
मुझे तो लगता है कि पक्के राजनेता छुट्टी में जाने के बजाय अपने मिजाज को बदलना पसंद करेंगे-क्योंकि आखिरी सांस तक रिटायरमेंट से वो इस क्षेत्र में ही बच सकते है।

No comments: