Saturday, July 16, 2011

राहुल जवाब दे!

हर आतंकी घटना के बाद जोर शोर से निन्दा की जाती है। घटना के शिकार लोगों के पारिवारिक जनों को मुआवजा दिया जाता है- घायलों के लिए बेहतर इलाज की व्यवस्था की जाती है- राजनैताओं के बयान, घायलों का हालचाल जानने के लिये अस्पतालों के दौरों की फोटों छपती है- प्रशासन अपने आपकों चौकास दिखाता है संदिग्ध स्थानों में छापेमारी की जाती है। विशेष स्थानों की सुरक्षा चाक चौबंद की जाती है-कुल मिलाकर हर बार यह प्रक्रिया देखने-सुनने पढ़ने में आती है। यह घटनाक्रम तो आंतकियों की करतूतों के बाद की प्रक्रिया की रील है- ये आतंकी बाहरी होकर देश के भीतर इस प्रक्रिया को अंजाम देते हैं- और इन करतूतों पर पूर्ण रूप से लगाम लग जाना सुरक्षा तंत्र रूपी प्रशासन के लिये सरल नहीं कहा जा सकता?
इधर देश के अंदर देश की व्यवस्था को चलाने वाले अगर अपनी काली करतूतों से भ्रष्टाचार के बम फोड़कर बार-बार खतरा पैदा करते है.... ये हमला उन आतंकी हमलों से कम खतरनाक तो नहीं है जो किसी न किसी रूप में सतत होता रहता है और अमर बेल की तरह देश की जड़ को चुस-चुस कर पीता रहता है। इसको रोका जा सकता है पर रोकने की ईमानदारी के साथ कोशिश नहीं की जा रही है..... यह मुद्दा आतंकी हमलों से भी बड़ा अहम् मुद्दा है ... कि हमने जिनके हाथों में देश को सौंप रखा है... वे देश के धन को विदेशों में पहुंचाते रहे हैं.... उन आतंकियों से बढ़कर क्या इनका कर्म घिनौना नहीं है?
मैं राहुल गांधी के उस विवादास्पद बयान से सहमत हूं कि हर आतंकी हमले को रोकना मुश्किल है... यह कड़वा सच है। इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए.... पर एक सवाल राहुल गांधी से जरूर पूछा जाना चाहिए कि भ्रष्टाचार को समूल मिटाना तथा विदेशों में पड़ा काला धन वापस लाना तो संभव है... देश के भीतर में अपनों से जो हमला विशेष रूप से सत्ता के गलियारों से हो रहा है- उसे रोका जाना तो संभव है.... फिर जो संभव है... वो ईमानदारी के साथ क्यों नही नहीं किया जा रहा है?
अगर वो आतंकी हमलों में प्रशासन सरकार की विफलता पर पर्दा डालने का बयान दे सकते हैं तो भ्रष्टाचार-कालेधन के मुद्दे पर अपनी सरकार से सवाल क्यों नहीं करते? अगर राहुल के मन में देश की उस बड़ी आबादी के प्रति टीस है जो जमीन के बिछौने पर आसमान रूपी खुली छत के नीचे गरीबी रेखा से भी नीचे का जीवन बसर कर रही है तो राहुल को सबसे पहले अपने घर-अपनी सरकार के क्रियाकलापों को देखकर उनको ठीक करने की कवायद शुरू करनी चाहिए अगर राहुल ऐसा नहीं करते तब फिर गरीबों-दलितों-किसानों मजदूरों के घरों की वो खाई रोटी और मुन्ज की चारपाई का कर्ज नहीं उतार पायेंगे... फिर ये सारी कवायद मात्र नौटकी ही कही जायेगी।
राहुल से देश यह जवाब चाहता है कि एक तरफ गरीबों के खाली पत्तल और टूटा-फूटा बसेरा-दूसरी तरफ सियासती रौनक व खरबों का काला धन... अगर ये काला धन विदेशों से देश में आये और भ्रष्टाचार पर पुरी लगाम लगे तो इन गरीबों को पक्का घर, अन्न, बीजली, पानी, शिक्षा, चिकित्सा सब सुलभ हो सकती है... क्या वे इन गरीबों के पीड़ित जीवन के प्रति ईमानदारी से अपने घर (सरकार) को झाड़ पायेंगे? क्योंकि सरकार जिस तरह से टाल-मटोल कर रही है... वो तो जनता देख ही रही है। इस देश की जनता आतंकी हमलों से कहीं अधिक भ्रष्ट आतंकियों से पीड़ित है क्योंकि ये हमले लगातार हो रहे हैं।

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