Saturday, July 9, 2011

क्या वो बागवां गुनहगार नहीं है?

संप्रग सरकार में जिस तरह मंत्री बदले जा रहे हैं अर्थात कार्यरत मंत्रियों पर लग रहे दागी-आरोपों व कार्यक्षमता पर उठ रहे सवालों की वजह से सरकार की छवि को साफ करने की जो कवायद चल रही है... वो हास्यास्पद दिख रही है। अगर गंभीरता से इस पर विचार किया जाये तो लगता है कि सबसे पहला बदलाव नेतृत्व परिवर्तन का होना चाहिए अर्थात सरकार के मंत्रियों का मुखिया प्रधानमंत्री को बदला जाना चाहिए... क्योंकि क्या बागवां तब सो रहा था.... जब चमन के फूल चमन को लूटने का काम कर रहे थे और अगर वो जगा हुआ था तब उसने समय पर कठोर कार्रवाई क्यों नहीं की?अर्थात फूलों ने जो गुस्ताखी की उसकी सजा उन फूलों को जरूर मिलनी चाहिए पर बागवां भी सजा से नहीं बचना चाहिए.... क्योंकि अगर वो चमन की सार सम्हाल नहीं कर सकता तो फिर उसे बागवां बने रहने का अधिकार नहीं है... अगर वो वास्तव में नैतिक मूल्यों के प्रति ईमानदार है तो सबसे पहला इस्तीफा उसका आना चाहिए। उस चमन का हश्र कैसा होगा... जहां कोई बागवां बहारों के इशारों पर चलता हो तब उसे चमन के हालात नहीं दिखते और न ही फूलों की कारस्तानी दिखती है... सिर्फ वो बहार के इशारे देखता है और उस पर चलता है...।सवाल यह है कि क्या वो बागवां गुनहगार नहीं है? क्या वो बहार गुनहगार नहीं है? क्या इनको सजा नहीं मिलनी चाहिए?चमन की इस बर्बादी पर गुस्ताख फूलों को सजा मिलनी चाहिए पर जिस बहार से बागवां गुमराह हुआजिस बागवां से चमन बदहाल हुआ सजा -ए-खास इनको पहले मिलनी चाहिए।

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