Friday, January 28, 2011

सरकार गिर रही है!

शेयर बाजार का सेन्सेक्स जिस तरह से धड़ाम-धड़ाम करके गिर रहा है उसे देखकर यह अनुमान स्वाभाविक है कि केंद्र सरकार के अंदर कहीं न कहीं भारी उथल-पुथल मची हुई है। घोटालों के चक्रव्यूह में फंसी मनमोहन सरकार की स्थिति जनता के मानस पटल पर डांवा डोल जैसी हो गई है।
हमारे यहां आम धारणा है कि शेयर बाजार का सेन्सेक्स जहां जीडीपी ग्रोथ, मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर चलता हो पर सरकार का सेन्सेक्स शेयर बाजार की स्वस्थता या अस्वस्थता पर काफी हद तक टिका होता है। जब सेन्सेक्स इक्कीस हजारी था तब मनमोहन सरकार बहुत मजबूत, प्रगतिशील स्वस्थ दिख रही थी। पर अब वहीं सेन्सेक्स जब अठारह हजार से भी नीचे आ गया है तब ऐसा लगने लगा जैसे कि मनमोहन सरकार ही नीचे आ गई है। आम निवेशकों को पूछिये तो बाजार में आई मंदी की मार को वो मनमोहन की घोटाला सरकार को दोषी मानते है और यह कहते हैं कि देश के हित में इस सरकार को खुद गिर जाना चाहिए।
निवेशकों की बद्दुआ का असर क्या गुल खिलायेगा? कहना मुश्किल है पर इतना तय लगता है कि यह सरकार स्वस्थ नहीं लग रही है। घोटालों व काले धन के वायरस से संक्रमति व महंगाई से ग्रसित कहीं भीतर ही भीतर गिर जाये तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

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