Friday, January 21, 2011

तुम चुप क्यों हो?

तुम चुप क्यों हो?बढ़ती महंगाई और इस पर एक के बाद एक घोटाले...और सरकार का मुखिया चुप... तब पहला आरोप तो मुुखिया पर ही जाता है कि कहीं घोटाले में उनकी हिस्सेदारी हो...पर सरकार के मुखिया कि छवि शालीन,विनम्र, ईमानदार की हो तब वो आरोप फिर वापिस घुम कर उन बेनकाब चेहरे पर ही आ जाता है- जिनके खिलाफ सबूत मिले हो व जांच चल रही हो। इतना कुछ होने के बाद भी जब मुखिया मौन साधे रहता है तब वो आरोप एक बार फिर मुखिया पर आता है- औैर इस बार वहां से घुमता नहीं बल्कि मुखिया के इर्द-गिर्द यह कहता हुआ मंडराता है कि ""तुम भी ईमानदार नहीं हो'' हो सकता है तुम्हारी इन घोटालेबाजों से मिली-भगत नहीं हो, हो सकता है घोटाले का अंश तुम्हारी जेब में तुमने नहीं लिया हो-पर तुम मुखिया हो और तुम्हारी नाक के नीचे से यह काली करतूत हुई है और कुछ लोगों ने तुमको समय पर आगाह भी किया पर तुमने चुप्पी साधे रखी-अर्थात घोटालेबाजों को पुरा वक्त दिया और घोटाला सामने आने के बाद भी सबूत को साफ करने तक का वक्त दिया... तुम्हारी इस चुप्पी पर न्यायपालिका तक को बोलना पड़ा...आखिर क्यों?इसलिये लगता है कि तुम्हारी ईमानदारी अपनी जवाबदेही के प्रति बिल्कुल नहीं है- एक मुखिया के फर्ज के प्रति तुम बिल्कुल ईमानदार नहीं हो- ऐसा भी लगता है कि तुम दिखावे के मुखिया हो, तुम्हारी मुखिया कोई और है...जो अपने रिमोट से तुमको चला रहा है...बताओ तुम चुप क्यों हो?जनता कि अदालत में तुम्हारी यह चुप्पी एक आरोपी के रूप में तुमको कटघरे में खड़ा करने के लिये काफी है।हजारों करोड़ों का घोटाला करने वाले उन आरोपियों से भी संगीन तुम्हारा अपराध है... तुमने अपने पद व जिम्मेदारी के साथ अपराध किया है। तुमने १२० करोड़ इस जनता के साथ मजाक किया है- इसलिये तुम ईमानदार नहीं हो...क्योंकि तुम बेइमानों के सरदार हो।गठबंधन के कुछ लोग अपनी तिजोरियों काला बाजारी को प्रोत्साहन देकर- कभी इम्पोर्ट- कभी एक्सपोर्ट करके महंगाई के कोड़े से जनता को पीट-पीटकर मार रहे हैं- सब कुछ देखकर-जानकर भी तुम चुप हो- क्योंकि तुम कुर्सी के लिये गठबंधन का धर्म तो निभा रहे हो-पर गणतन्त्र को भूले जा रहे हो।अतीत में प्याज में बढ़ी कीमतों ने राजग सरकार की छुट्टी की थी..तुम्हारे यहां तो महंगाई व घोटालों ने रिकार्ड ही तोड़ दिया है।अब जनता भी तुमको अपना निर्णय सुनायेगी।ऐसी सरकार जनता फिर नहीं लायेगी...अर्थात जनता तुमको व तुम्हारे साथियों को लम्बी छुट्टी पर भेजने का मन बना रही है। तुमलोगों को लाइन हाजिर करने का निर्णय जनता की अदालत से आ सकता है।

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