Friday, February 25, 2011

ये कैसी मजबूरी है?


राजनीति में एक ही घटना परिस्थिति के आधार पर स्वीकार व नकार दी जाती है - अब ममता जी के रेल बजट को ही लीजिए- अपने रेल बजट में जब उन्होंने बंगाल को मालामाल कर दिया तब वाम मोर्चे ने उसको चुनावी बजट का नाम दे दिया- अर्थात बंगाल को जो रेल बजट ने दिया वो भी उनको स्वीकार्य नहीं था... चूंकि बंगाल में विधानसभा चुनाव आने वाले दिनों में होने वाले हैं - इसलिए वाममोर्चे को ममता जी की ये सौगाते जो बंगाल को दी गई है वे नहीं पच रही है और समालोचना की बजाय इकतरफा आलोचना वे कर रहे है। ममता जी ने बंगाल को जिस तरह से फोकस किया है उन्होंने भी विधानसभा चुनाव को नजर में रख कर किया है... इसलिए चुनावी बजट से हम इंकार नहीं कर सकते- पर राजनीति में इतनी संवेदनशीलता तो होनी चाहिए कि अपने क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता दे-चाहे वो चुनाव के मद्देनजर हो या फिर किसी दबाव में हो या अपनी नैतिक जिम्मेवारी समझ कर हो। सिर्फ आलोचना के लिए आलोचना करना अपनी ताकत को कमजोर जताना होता है- इसलिए जो बंगाल को ममता दीदी ने अपने रेल खजाने से दिया- उसके लिए उनको बधाई दी जानी चाहिए-अगर सवाल पूछना हो तो उन परियोजनाओं के लिए पूछा जाना चाहिए जो पिछले रेल बजट की घोषणा के बाद भी अधरझूल में लटकी हुई है- सवाल यह भी पूछा जाना चाहिए कि ममता जी ने अगर राइटर्स को फतह कर लिया और मुख्यमंत्री बन गई तो उनको रेल को छोड़ना पड़ेगा..... तब इन घोषणाओं का क्या होगा?
सवाल यह भी पूछा जाना चाहिए की क्या रेलवे की जाजम इतनी बड़ी है जितनी घोषणाओं ने पैर पसारे है सवालों के संदर्भ से आलोचना होनी चाहिए पर एक स्वर से सिर्फ आलोचना उचित नहीं लगती।
चाहे राजनीति का तकाजा कितना ही बड़ा क्यों न हो पर उचित अनुचित का ख्याल रखना ही चाहिए। ममता जी ने रेलवे की जाजम पर बैठकर राइटर्स का कार्ड मजबूती से खेला है- इसको आप सिर्फ आलोचना से नहीं रोक सकते, आपको भी कुछ करके दिखाना होगा यह बात अलग है कि जब आपके पास समय था तब आपने कुछ दिखलाया नहीं और अब आप कुछ दिखलाना चाह रहे हैं तब आपके पास समय नहीं है। यह कहावत याद आती है जब चिड़िया चुग जाये खेत तब पछताये क्या होत?
ममता रूपी चिड़िया राजनीति का यह खेत बंगाल के संदर्भ में चुग गयी दिखती है। ममता जी ने अपने रेल बजट में राजस्थान प्रवासियों की सुविधा का भी अच्छा ख्याल रखा है। हां, बिहार व उत्तर प्रदेश से शिकायत के स्वर उठे हैं...।
सबकी झोली को एक साथ भरा भी नहीं जा सकता फिर भी ममता ने अपनी ममता दिखाई है।

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