Friday, May 1, 2009

यह कैसी मज़बूरी ?

चुनाव के बाद
जहा नेता रखते है
अपनी जनता से दुरी
उस जनता के
हाथ में नही
लाकतंत्र की घुरी
खोट्टे सिक्के
चलाने की
उसकी है मजबूरी
फ़िर भी है उसको
वोट देना जरुरी
हाय -हाय
यह कैसी .....
संजय सनम

1 comment:

Udan Tashtari said...

बहुत मजबूरी है..अच्छी रचना.