आज बहुरंगी रंगों से
जमी लाल -गुलाब हो गई है
मस्तो की मस्ती जैसे
बरसो पहले की शराब हो गई है
आसमा में रंगों की
गुबार जैसे बहार हो गई है
बाहर का नजारा रंगीन दिखा है जरुर
पर मन की पीडा
फ़िर नजरंदाज हो गई है
अब तुम ही बतलावो ...
में कैसे कह दू की
होली कामयाब हो गई है
संजय सनम
No comments:
Post a Comment