Saturday, March 12, 2011

कोप में है कुदरत!

जापान में आई सुनामी और उसके पश्चात के हालत यही बतला रहे है कि प्रकृति जब कोप में आती है तो मानव निर्मित सुरक्षा कवचों के घेरे टूट जाते हैं। जापान के लोगों के हालात अत्यन्त विषम है- हम उनके लिये दुआ करे जो इन हालातों से जुझ रहे हैं... तथा जिनको सुनामी ने लील लिया है- हम ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति के लिए कामना करें।
समूची मानवता के जेहन में एक बात आ जानी चाहिए कि अगर प्रकृति से संरक्षण लेना है तो प्रकृति के कायदे-कानून को मानना होगा- अर्थात कुदरत से छेड़खानी नहीं चलेगी। कुदरत के गुस्से का अर्थ फिर प्रलय ही है - जो मानव निर्मित किसी भी सुरक्षा कवच को अपने शैलाब में बहा ले जा सकती है।
जापान में जो भारतीय फंसे है- उनके लिए भारत सरकार उचित इंतजाम करे- तथा समूची मानवता एक स्वर में जटिल हालातों से जुझ रहे जापान की स्वस्थता के लिए दुआ करे - क्यों कि इंसानियत का यही तकाजा है और दुआ में बड़ी ताकत होती है।

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