Saturday, April 18, 2009
Friday, April 17, 2009
कहां गये वे समाजसेवी?
Sunday, April 12, 2009
दिन-दहाड़े लूट रही पुलिस
इनकी वर्दी उतारी जाये
Wednesday, April 8, 2009
अल्पसंख्यक किसे कहते हैं?
Monday, April 6, 2009
रासुका लालू पर लगना चाहिए |
sawal यह भी है की लालू पर attamp तो murder का mamla क्या नही banta ?अगर वरुण पर रासुका लग सकता है तो यहाँ लालू कैसे bach सकते है ?अगर लालू में thodi भी manwiyata है तो उनको अपने बयां पर पलटने की बजाये हाथ जोड़ कर वरुण से माफ़ी मांगनी चाहिए
संजय सनम
Sunday, April 5, 2009
काला धन
भारतीयों का
करोडो डालरों का काला धन
अगर भारत में आएगा
तो कहा जाएगा ?
मेरा अनुमान है
सब राजनेतिक दल
लोकसभा चुनावों में
हुए खर्च की
खाई को भरने
के लिए
सर्वे सम्मति से
इसका उपयोग
शान्ति से कर लेंगे
जनता को विकाश की
जुटान चखा कर
एक नम्बर में
खर्चा भर देगे
हां ..इससे
जनता का
कुछ आगे भला होगा
क्योकि
राजनीती का पेट
विदेशी काले धन से
जब भरा होगा
तो सरकारी खजाना
इनके भछन से
बच जाएगा
और
जनता का पैसा
फ़िर
जनता के लिए
लग जाएगा
संजय सनम
Saturday, April 4, 2009
मायाजी,ममता को मत ललकारिये |
मायाजी ,आप वोट बटोरने के लिए राजनितिक ममता का आधुनिक रूप तो हो सकती है पर बेटे से मिलनेके लिए जेल तक आने वाली व ममत्व की आशीष का दूध पिलाने वाली मेनका कभी नही हो सकती इसलिए ममत्व व माँ को राजनीती की चोसर पर लाने की गुस्ताखी कृपया न करे क्योकि माँ का अंचल और उसकी कोख की तड़प कोई राजनितिक माँ नही समझ सकती ..इसलिए दिखावटी ममता से जन्म्दय्नी ममता को मत ललकारिये निठारी कांड को क्या भूल गई है आप?...उन माओ की ममता के क्रंदन ने मुल्याम्सिंह को आउट कर दिया ...इसलिए कुर्सी का नाजायज लाभ मत उठाइए ..वरुण और कानून के बीचराजनीती के दाव पेंच को मत लाइए
चुटकी
के
बिच
माया
आ रही है
शायद उसको अब
इस बात का
डर लग रहा है कि
एक गठरी को
बचाने के
जुगत में
वोटो कि
बड़ी गठरी
फिसली जा रही है ।
राजनीती का यह
नजारा साफ बताता है कि
कुर्सी का पहिया
वोट बैंक पर
बठेने के खातिर
एक माँ की
ममता के बिच
बदनीयत के साथ
इस तरह आ जाता है ।
संजय सनम
Friday, April 3, 2009
योग बाबा रामदेव के नाम खुला पत्र
आदरणीय योग गुरु जी,सादर अभिवादन!कल दिनांक २ अप्रैल २००९ को आस्था चैनल के माध्यम से स्वदेशी और स्वाभिमान के प्रेरक विषय पर आपके सान्निध्य में बौद्धिक वक्ताओं के विचारों को सुनकर... मुझे ऐसा लगा कि आप इस देश के करोड़ों लोगों में उत्प्रेरक बनकर प्रेरणा तो जगा रहे हैं पर जिस तरह से आपने शरीर के तंत्र को ठीक करने के लिए प्रायोगिक रूप से योग खुद करके लोगों को सिखाया और बीमार शरीर को स्वस्थ बनाया वैसा प्रयोग बीमार शासन तंत्र को स्वस्थ करने के लिए आप स्वयं करने से कतरा रहे हैं। बाबा,इस देश की राजनीति की गंगा मैली है यह सब जानते हैं, जनता भी जानती है... पर वो क्या करें? उसके पास पांच वर्षों से एक वार निर्णय देने का अवसर आता है॥ और उसमें उसको उन ही लोगों की जमात से चुनना पड़ता है। पार्टी, निशान, नेता तो बदलते है पर फिर भी जनता की तकदीर और इस देश की तस्वीर नहीं बदलती क्योंकि राजनेताओं का चरित्र नहीं बदलता... आखिर एक ही थैले के चट्टेबट्टे जो ठहरे... इसलिए बाबा देश का भाग्य नहीं बदलता... क्योंकि जनता के पास विकल्प कहां है? ऐसे नैतिक, ईमानदार, राष्ट्रप्रेमी नायकों की कतार कहां है? और जो इस तबके के कुछ है वो इस मैली गंगा में कुदकर इसको साफ करने के लिए अपने हाथ गंदे करने को तैयार नहीं है।बाबा,आप भी तो मैली गंगा के किनारे खड़े होकर करोड़ों लोगों को इसके बारे में जता रहे हैं पर आप भी तो छलांग नहीं लगा रहे हैं जबकि इस देश की जनता आपको गुरु मानती है आपके आदेश की अनुपालना के लिए बगले नहीं झांकती आपके पास देशप्रेम से ओतप्रोत, विचारवान, कार्यकर्ताओं की टीम है... फिर भी आप सिर्फ उद्बोधन दे रहे हैं। जिस तरह से शरीर तंत्र की प्रक्रिया को दुरुस्त करने के लिए आपने करोड़ों लोगों को प्राणायाम खुद करते हुए दिखाकर सिखाया.... वैसे ही राष्ट्र के बीमार तंत्र को दुरुस्त करने के लिए आपको राजनीति की मैली गंगा को साफ करने की प्रक्रिया उसमें कूदकर स्वयं साफ करते हुए दिखानी होगी।बाबा,व्यवस्थाएं, नियम, कानून, तो संसद में बनते हैं... अगर इनको बदलना है तो आपको जन प्रतिनिधि का दायित्व ओढ़कर अपने कुछ विशेष बौद्धिक कार्यकर्ताओं के साथ संसद में जाना होगा।आपने कल कहां था, मुझे पी।एम। नहीं बनना, मंत्री नहीं बनना.... मत बनिये। पर इस देश की व्यवस्थाकेतंत्र को बदलने के लिए अर्थात नीति निर्धारण करने के लिए आप अपनी ऊर्जा को जनता से भरे मैदानों में नहीं बल्कि संसद में लगाइए॥ तब देश का भला होगा।बाबा,धर्म, न्याय, की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अधर्म का सहारा लेने को भी पाप नहीं माना था, क्या आप साधु के इस चोले के लिए राजनीति की इस मैली गंगा में जाने से कतरा रहे हैं? आपको डर है कि लोग क्या कहेंगे? आखिर रामदेव भी नेता बनने के लिए लालायित हो गये.... इसी डर की वजह से आपको बार-बार खुलासा करना पड़ता है॥ कि मुझे मंत्री नहीं बनना... है ना?अगर आप स्वयं प्रयोग करने से हिचकिचाते हैं तो फिर स्वाभिमान की यह शमां मत जलाइये।अगर इस देश के प्रति आपको वास्तव में श्रद्धा है प्यार है.. तो आप अपनी सामर्थ्य का जलवा दिखाइये।आप अपने निष्ठावान, समर्थ, संकल्पी कार्यकर्ताओं को आने वाले लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारिए और उनको नेतृत्व प्रदान कीजिए। जिस दिन संसद में राष्ट्रप्रेमी नायकों का एक टुकड़ा जन प्रतिनिधि बनकर आ जायेगा उस दिन भ्रष्ट नेताओं के चंगुल से देश छूट जाएगा और उसका चेहरा बदल जाएगा। अवसर एकदम सामने हैं.... बाबा! अगर आप चाहें तो इस देश की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल सकती है पर इसके लिए आपको सड़क से संसद में जन प्रतिनिधि के रूप में जाना होगा। अगर यह हिम्मत नहीं है तो बाबा फिर जनता के दिल की कसक को और मत तड़पाइये, फिर इन करोड़ों को अंधेरों में ही रहने दीजिए झूठी रोशनी मत दिखाइए।मेरा दावा है कि अगर आप इस समाधान को स्वीकार करते हैं तो ६ महीने के अंदर देश के सूरते हाल खुश्गवार नजर आने लगेंगे। पर इसके लिए व्यवस्था तंत्र को कपाल भारती आपको संसद में करनी व करवानी होगी। क्या आप ऐसा कर सकते हैं।संजय सनम